जसोलधाम में कलाकारों ने गेर नृत्य किया।
चैत्र नवरात्र के छठे दिन जसोलधाम के श्री राणी भटियाणी मंदिर में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की गई। शुक्रवार को पंच दशनाम
जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायणगिरी महाराज की मौजूदगी में धार्मिक अनुष्ठान हुए। संस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल ने विशेष पूजन किया। वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मां की पूजा संपन्न हुई।
श्री दूधेश्वर वेद विद्या पीठ, गाजियाबाद के विद्वान आचार्यों ने पूजा करवाई। अन्नपूर्णा प्रसादम का आयोजन गजनेर निवासी फुसराम गेधर परिवार की ओर से किया गया। उन्होंने श्री राणीसा भटियाणीसा समेत सभी देवी-देवताओं को भोग लगाया। इसके बाद सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। महंत नारायणगिरी महाराज और महंत चेतनानंद महाराज की मौजूदगी में कन्या और बटुक पूजन भी हुआ। जसोल गांव की सभी समाज की कन्याओं और बटुकों को फल, प्रसाद और दक्षिणा भेंट की गई।
महंत नारायणगिरी महाराज और महंत चेतनानंद महाराज की मौजूदगी में कन्या और बटुक पूजन हुआ।
मां कालरात्रि की उपासना से होता है बुरी शक्तियों का नाश
इस अवसर पर महंत नारायणगिरी महाराज ने भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा — "मां कालरात्रि की उपासना करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है। भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है।"
महंत चेतनानंद महाराज (आबू राज) ने मां कालरात्रि के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा — "मां कालरात्रि का शरीर अंधकार के समान काला है, श्वास से अग्नि निकलती है, बाल बिखरे हुए हैं। चार भुजाओं में तलवार, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा धारण किए हुए हैं।"
श्री राणीसा भटियाणीसा समेत सभी देवी-देवताओं को भोग लगाया। इसके बाद सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया।
इस तरह करें पूजा
साधकों को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके मां कालरात्रि की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। मां को लाल वस्त्र, रोली, कुमकुम अर्पित कर विधिवत पूजन करना चाहिए। मां को गुड़, इमली, नारियल और लौंग का भोग अतिप्रिय है।